भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३७२ :
वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय (अवयस्क) को बेचना :
(See section 98 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : वेश्यावृत्ति, आदि के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय को बेचना या भाडे पर देना ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई १.(अठराह वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ती को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ती किसी आयु में भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ती से अयुक्त संभोग करने के लिए या किसी विधिविरुद्ध और दुराचारिक प्रयोजन के लिए काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह संभाव्य जानते हुए की ऐसा व्यक्ती किसी आयु में भी) ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जाऐगा या उपयोग किया जाएगा, बेचेगा,भाडे पर देगा या अन्यथा व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
२.(स्पष्टीकरण १ :
जबकि अठराह वर्ष से कम आयु की नारी किसी वेश्या को या किसी अन्य व्यक्ती को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबन्ध करता हो, बेची जाए, भाडे पर दी जाए या अन्यथा व्ययनित की जाए, तब इस प्रकार ऐसी नारी का व्ययनित करने वाले व्यक्ती के बारे में, जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि उसने उसको इस आशय से व्ययनित किया है कि वह वैश्यावृत्ति के लिए उपयोग में लाई जाएगी ।
स्पष्टीकरण २ :
अयुक्त संभोग से इस धारा के प्रयोजनों के लिए ऐसे व्यक्तीयों में मैथुन अभिप्रेत है जो विवाह से संयुक्त नहीं है, या ऐसे किसी संयोग या बंधन से संयुक्त नहीं है जो यद्यपि विवाह की कोटि में तो नहीं आता तथापि उस समुदाय की, जिसके वे है या यदि वे भिन्न समुदायों के है तो ऐसेदोनों समुदायों की , स्वीय विधि या रुढि द्वारा उनके बीच में विवाह सदृश्य सम्बन्ध अभिज्ञात किया जाता है ।)
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१. १९२४ के अधिनियम सं० १८ की धारा २ द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९२४ के अधिनियम सं० १८ की धारा ३ द्वारा अन्त:स्थापित ।