Ipc धारा ३६७ : किसी व्यक्ती को घोर उपहति, दासत्व आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३६७ :
किसी व्यक्ती को घोर उपहति, दासत्व आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण :
(See section 140(4) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व, आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी व्यक्ती का व्यपहरण या अपहरण इसलिए करेगा कि उसे घोर उपहति या दासत्व का या किसी व्यक्ती की प्रकृति विरुद्ध काम-वासना का विषय बनाया जाए या बनाए जाने के खतरें में वह जैसे पड सकता है वैसे उसे व्ययनित किया जाए, या संभाव्य जानते हुए करेगा कि एसे व्यक्ती को उपर्युक्त बातों का विषय बनाया जाएगा या उपर्युक्त रुप से व्ययनित किया जाएगा, वह दोनो में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।

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