भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३५८ :
गंभीर प्रकोपन (उत्तेजना) मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग :
(See section 136 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : गंभीर और अचानक प्रकोपन मिलने पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग ।
दण्ड :एक मास के लिए सादा कारावास, या दो सौ रुपए का जुर्माना, या दानों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ती जिस पर हमला किया गया या जिस पर बल का प्रयोग किया गया था ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग उस व्यक्ती द्वारा किए गए गंभीर और अचानक प्रकोपन पर करेगा, वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
अंतिम धारा उसी स्पष्टीकरण के अध्यधीन है जिसके अध्यधीन धारा ३५२ है ।
(स्पष्टीकरण :
इस धारा के अधीन किसी अपराध के दण्ड में कमी, गंभीर और अचानक प्रकोपन के कारण न होगी, यदि वह प्रकोपन अपराध करने के लिए प्रतिहेतु के रुप में अपराधी द्वारा स्वेच्छया प्रकोपित किया गया हो, अथवा
यदि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो विधि के पालन में, या किसी लोक सेवक द्वारा ऐसे लोक सेवक की शक्ती के विधिपूर्ण प्रयोग में, की गई हो, अथवा
यदि वह प्रकोपन किसी ऐसी बात द्वारा दिया गया हो जो प्राइवेट (नीजी) प्रतिरक्षा के अधिकार के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई हो ।
प्रकोपन अपराध को कम करने के लिए पर्याप्त गंभीर और अचानक था या नहीं, यह तथ्य का प्रश्न है । )