भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३५३ :
लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल प्रयोग :
(See section 132 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से भयोपरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग ।
दण्ड : दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दानों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : १.(अजमानतीय) ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी ऐसे व्यक्ती पर, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह लोक सेवक, लोक सेवक के नाते, अपने कर्तव्य का निष्पादन कर रहा हो, या इस आशय से कि उस व्यक्ती को वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित करे या भयोपरत करे या ऐसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या की जाने के लिए प्रययित किसी बात के परिणाम स्वरुप हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
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१. २००५ के अधिनियम सं० २५ की धारा ४२ (च) द्वारा धारा ३५३ की प्रविष्टि से संबंधित कालम ५ में यथोक्त के स्थान पर प्रतिस्थापित ।