भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३३८ :
ऐसे कार्य द्वारा घोर उपहति कारित करना, जिससे दुसरों का जीवन या वैयक्तिक क्षेम (सुरक्षा) संकटापन्न (संकटमय) हो :
(See section 125 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : ऐसे कार्य द्वारा घोर उपहति कारित करना जिससे मानव जीवन संकटापन्न हो, आदि ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या एक हजार रुपए जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई ऐसे उतावलेपन या उपेक्षा (लापरवाही) से कोई कार्य करने द्वारा, जिससे मानव या दूसरों का वैयक्तिक क्षेम(सुरक्षा) संकटमय हो जाए, किसी व्यक्ती को घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।