Ipc धारा ३३६ : कोई कार्य जिससे दुसरों का जीवन या वैयक्तिक क्षेम (सुरक्षा) संकटापन्न (संकटमय) हो :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३३६ :
कोई कार्य जिससे दुसरों का जीवन या वैयक्तिक क्षेम (सुरक्षा) संकटापन्न (संकटमय) हो :
(See section 125 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कोई कार्य करना जिससे मानव जीवन या वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो ।
दण्ड :तीन मास के लिए कारावास, या ढाई सो रुपए (२५०) जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई उतावलेपन या उपेक्षा (लापरवाही) से कोई कार्य करेगा कि उस कार्य से मानव जीवन या दुसरों का वैयक्तिक क्षेम(सुरक्षा) संकटमय हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो ढाई सो रुपए (२५०) तक का हो सेकगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

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