Ipc धारा ३३२ : लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने (भय दिखा कर रोकना) के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३३२ :
लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने (भय दिखा कर रोकना) के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना :
(See section 121 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दानों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : १.(अजमानतीय ।)
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी ऐसे व्यक्ती को जो लोकसेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन (पालन) कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ती को या किसी अन्य लोक सेवक को, वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित या भयोपरित करे अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ती द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात या कार्य के परिणाम स्वरुप स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दानों से दण्डनीय होगा ।
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१. २००५ के अधिनियम सं० २५ की धारा ४२(च) द्वारा धारा ३३२ की प्रविष्टि से संबंधित स्तंभ ५ में जमानतीय के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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