भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३३१ :
संस्वीकृति (अपराध स्विकृति) उद्यापित करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन (वापस देना) कराने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना :
(See section 120 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संस्वीकृति या जानकारी उद्दापित करने के लिए अथवा सम्पत्ति प्रत्यावर्तित करने के लिए मजबूर करने के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना आदि ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ती से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ती से कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध अथवा अवचार का पता चल सके, उद्यपित की जाए, अथवा उपहत व्यक्ती या उससे हितबद्ध व्यक्ती को मजबूर किया जाए कि वह कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति प्रत्यावर्तित करे, या करवाए, या किसी दावे या मांग की पुष्टि, या ऐसी जानकारी दे, जिससे किसी मौल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।