भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३३० :
संस्वीकृति (अपराध स्विकृति) उद्यापित करने या विवश करके संपत्ति का प्रत्यावर्तन (वापस देना) कराने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना :
(See section 120 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संस्वीकृति या जानकारी उद्दापित करने के लिए अथवा सम्पत्ति प्रत्यावर्तित करने के लिए मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना, आदि ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ती से या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ती से कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध अथवा अवचार का पता चल सके, उद्यपित की जाए, अथवा उपहत व्यक्ती या उससे हितबद्ध व्यक्ती को मजबूर किया जाए कि वह कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति प्रत्यावर्तित करे, या करवाए, या किसी दावे या मांग की पुष्टि, या ऐसी जानकारी दे, जिससे किसी मौल्यवान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन कराया जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत :
क) (क) एक पुलिस आफिसर, (य) को यह संस्वीकृति करने को कि उसने अपराध किया है उत्प्रेरित करने के लिए यातना देता है । (क) इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
ख) (क) एक पुलिस आफिसर यह बतलाने को कि अमुक चुराई हुई सम्पत्ति कहां रखी है उत्प्रेरित करने के लिए (ख) को यातना देता है । (क) इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
ग) (क), एक राजस्व आफिसर, राजस्व की वह बकाया, जो (य) द्वारा शोध्य है, देने को (य) को विवश करने के लिए उसे यातना देता है । (क) इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।
घ) (क), एक जमीदार भाटक देने को विवश करने के लिए अपनी एक रैयत को यातना देता है । (क) इस धारा के अधीन अपराध का दोषी है ।