भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३२६ ख :
१.(स्वेच्छया अम्ल फेंकना या फेंकने का प्रयत्न करना :
(See section 124(2) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : स्वेच्छया अम्ल फेंकना या फेंकने का प्रयत्न करना ।
दण्ड :पाँच वर्ष के लिए कारावास किन्तु जो सात वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई, किसी व्यक्ती को स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करने या उसका अंगविकार करने या जलाने या विकलांग बनाने या विद्रूपित करने या नि:शक्त बनाने या घोर उपहति कारित करने के आशय से उस व्यक्ती पर अम्ल फेंकता है या फेंकने का प्रयत्न करता है या किसी व्यक्ती को अम्ल देता है या अम्ल देने का प्रयत्न करता है या किसी अन्य साधन का उपयोग करने का प्रयत्न करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष से कम की नहीं किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण १ :
धारा ३२६ क और इस धारा के प्रयोजनों के लिए अम्ल में कोई ऐसा पदार्थ सम्मिलित है जो ऐसे अम्लीय या संक्षारक स्वरुप या ज्वलन प्रकृति का है, जो ऐसी शारीरिक क्षति करने योग्य है, जिससे क्षतिचिन्ह बन जाते है, या विद्रुपता या अस्थायी या स्थायी नि:शक्तता हो जाती है ।
स्पष्टीकरण २ :
धारा ३२६ क और इस धारा के प्रयोजनों के लिए स्थायी या आंशिक नुकसान या अंगविकार का अपरिवर्तनीय होना आवश्यक नही होगा ।
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१. २०१३ के अधिनियम सं० १३ की धारा २४ अन्त:स्थापित ।