भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३२६ क :
१.(अम्ल, आदि का प्रयोग करके स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना :
(See section 124(1) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : अम्ल, आदि का प्रयोग करके स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना ।
दण्ड :कम से कम दस वर्ष के लिए कारावास किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा और जुर्माना, जिसका संदाय पीडिता को किया जाएगा ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी व्यक्ती के शरीर के किसी भाग या किन्हीं भागों को उस व्यक्ती पर अम्ल फेंककर या उसे अम्ल देकर या किन्हीं अन्य साधनों का, ऐसा कारित करने के आशय या ज्ञान से कि यह संभाव्य है किस वह ऐसी क्षति या उपहति कारित करे, प्रयोग करके स्थायी या आंशिक नुकसान कारित करता है या अंगविकार करता है या जलाता है या विकलांग बनाता है या विद्रुपित करता है या नि:शक्त बनाता है या घोर उपहति कारित करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा;
परन्तु ऐसा जुर्माना पीडित के उपचार के चिकित्सीय खर्चो को पूरा करने के लिए न्यायाचित और युक्तियुक्त होगा ;
परन्तु यह और कि इस धारा के अधीन अधिरोपित कोई जुर्माना पीडित को संदत्त किया जाएगा ।)
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१. २०१३ के अधिनियम सं० १३ की धारा २४ अन्त:स्थापित ।