भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३२५ :
स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने के लिए दण्ड :
(See section 117(2) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय १.(अजमानतीय / अबतक प्रवृत्त नही) ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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धारा ३३५ में उपबंधित दशा के सिवाय, जो कोई स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
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१.दण्ड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम २००५ (२००५ का २५) की धारा ४२ (एफ)(चार) द्वारा जमानतीय के स्थान पर अजमानतीय प्रस्थापित किया गया किन्तु अब तक प्रवृत्त नहीं ।