भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३२४ :
खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करना :
(See section 118(1) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करना ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय १.( अजमानतीय / अबतक प्रवृत्त नही) ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
——-
धारा ३३४ में उपबंधित दशा के सिवाय, जो कोई असन, वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा या किसी ऐसे उपकरण द्वारा जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाए, तो उससे मृत्यु कारित होना संभाव्य है, या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा, या किसी विष या किसी संक्षारक पदार्थ द्वारा या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा,या जिसका श्वास में जाना या निगलना या रक्त में पहुँचना मानव शरीर के लिए हानिकारक है, या किसी जीवजन्तु (पशू ) द्वारा स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी,या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।
——-
१. दण्ड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम २००५ (२००५ का २५) की धारा ४२ (एफ)(तीन) द्वारा जमानतीय के स्थान पर अजमानतीय प्रस्थापित किया गया किन्तु अब तक प्रवृत्त नहीं ।