भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३२३ :
स्वेच्छया उपहति कारित करने के लिए दण्ड :
(See section 115(2) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : स्वेच्छया उपहति कारित करना ।
दण्ड : एक वर्ष के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचना आशयित है ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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उस दशा के सिवाय, जिसके लिए धारा ३३४ में उपबंध है, जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।