Ipc धारा ३२० : घोर उपहति :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३२० :
घोर उपहति :
(See section 116 of BNS 2023)
उपहति की केवल नीचे लिखी किस्मे घोर उपहति कहलाती है :
पहली : पुंसत्वहरण (नपुंसकता) ।
दुसरा : दोनों में से किसी भी नेत्र की दृष्टी का स्थायी विच्छेद ।
तीसरा : दोनों में से किसी भी कान की श्रवणशक्ती का स्थायी विच्छेद ।
चौथा : किसी भी अंग या जोड का विच्छेद ।
पाँचवाँ : किसी भी अंग या जोड की शक्तीयों का नाश या स्थायी ऱ्हास ।
छठा : सिर या चेहरें का स्थायी विद्रूपीकरण ।
सांतवाँ : अस्थि या दाँत का भंग या विसंधान
आठवाँ : को उपहति जो जीवन को संकटमय करती है या जिसक कारण उपहत व्यक्ती बीस दिन तक तीव्र शारीरिक पीडा में रहता है या अपने मामुली कामकाज को करने के लिए असमर्थ रहता है ।

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