भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३१५ :
शिशु का जिवित पैदा होना रोकना या जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य :
(See section 91 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य इस आशय से करेगा कि उस शिशु का जिवित पैदा होना तद्द्वारा उसकी मृत्यु कारित हो जाए, और ऐसे कार्य से उस शिशु का जिवित पैदा होना रोकेगा, या उसके जन्म के पश्चात् उसकी मृत्यु कारित कर देगा, यदि वह कार्य माता के जीवन बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक नहीं किया गया हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।