भारतीय दण्ड संहिता १८६०
गर्भपात कारित करने, अजात शिशुओं को क्षति कारित करने, शिशुओं को अरक्षित छोडने और जन्म छिपाने के विषय में :
धारा ३१२ :
गर्भपात कारित करना :
(See section 88 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : गर्भपात कारित करना ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : १.(वह स्त्री जिसका गर्भपात किया गया है ।)
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि स्त्री स्पन्दनगर्भा हो ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : १.(वह स्त्री जिसका गर्भपात किया गया है ।)
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई गर्भवती स्त्री का स्वेच्छया गर्भपात कारित करेगा, यदि ऐसा गर्भपात उस स्त्री का जीवन बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक, कारित न किया जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा, और यदि वह स्त्री स्पन्दन-गर्भा (गर्भवदी होने की दशा में जम कि भू्रण के गतिमान होने का भास हो) हो , तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
जो स्त्री स्वयं अपना गर्भपात कारित करती है, वह इस धारा के अन्तर्गत आती है ।
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१. २००९ के अधिनियम सं० ५ की धारा २३ द्वारा सारणी के स्थान पर प्रतिस्तापित ।