भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३११ :
दण्ड (ठग के लिए) :
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : ठग होना ।
दण्ड :आजीवन कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई ठग होगा, वह १.(आजीवन कारावास) से दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।