Ipc धारा ३०४ : हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए दण्ड :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३०४ :
हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए दण्ड :
(See section 105 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : हत्या की कोटि में न आने वाला आराधिक मानववध, यदि वह कार्य, जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई, मृत्यु आदि कारित करने के आशस से किया जाता है ।
दण्ड :आजीवन करावास, या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
——–
अपराध : यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु आदि कारित करने के आशय के बिना, किया जाता है ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
———
जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नही आता हो, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, मृत्यु या ऐसी शारिरिक क्षति(हानी), जिससे मृत्यु होना संभाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाए, तो वह १.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
अथवा यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना संभाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारिरीक क्षति (हानी), जिससे मृत्यु कारित करना संभाव्य है, कारित करने के किसी आशय के बिना किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
——–
१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

Leave a Reply