भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २ :
भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड :
(See section 1(3) of BNS 2023)
हर व्यक्ती इस संहिता के उपबंधों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह १.(भारत) २.(***) के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं।
———
१. उक्त राज्यक्षेत्र मूल शब्दों का संशोधन अनुक्रमश: भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७, स्वतंत्रता (केन्दीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८, विधि अनुकूलन आदेश १९५० और १९५१ सं० ३ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा किया गया है ।
२. १८९१ के अधिनियम सं० १२ की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा पर या १८६१ की मई के उक्त प्रथम दिन के पश्चात शब्दद ओैर अंक निरसित ।