Ipc धारा २९९ : आपराधिक मानव वध :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
अध्याय १६ :
मानवी शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में :
(See section 100 of BNS 2023)
जीवन के लिए संकटकारी अपराधों के विषय में :
धारा २९९ :
आपराधिक मानव वध :
जो कोई मृत्यु कारित करने के आशय से, या ऐसी शारीरिक क्षति (हानि) कारित करने के आशय से जिससे मृत्यु कारित हो जाना संभाव्य हो, या यह ज्ञान रखते हुए कि यह संभाव्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे, कोई कार्य करके मृत्यु कारित कर देता है, वह आपराधिक मानव वध का अपराध करता है ।
दृष्टांत :
क) (क) एक गड्ढे पर लकडियां और घास इस आशय से बिछाता है कि तद्द्वारा मृत्यु कारित करे या यह ज्ञान रखते हुए बिछाता है कि सम्भाव्य है कि तद्द्वारा मृत्यु कारित हो । (य) यह विश्वास करते हुए कि वह भूमि सुदृढ है उस पर चलता है, उसमें गिर पडता है और मारा जाता है । (क) ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है ।
ख) (क) यह जानता है कि (य) एक झाडी के पीछे है । (ख) नहीं जानता । (य) की मृत्यु करने के आशय से या यह जानते हुए कि उससे (य) की मृत्यु कारित होना सम्भाव्य है, (ख) को उस झाडी पर गोली चलाने के लिए (क) उत्प्रेरित करता है । (ख) गोली चलाता है और (य) को मार डालता है । यहां, यह हो सकता है कि (ख) किसी भी अपराध का दोषी न हो, किन्तु (क) ने आपराधिक मानव वध का अपराध किया है ।
ग) (क) एक मुर्गे को मार डालने और उसे चुरा लेने के आशय से उस पर गोली चलाकर (ख) को, जो एक झाडी के पीछे है, मार डालता है, किन्तु (क) यह नहीं जानता था कि (ख) वहां है । यहां, यद्यपि (क) विधि विरुद्ध कार्य कर रहा था, तथापि, वह आपराधिक मानव वध का दोषी नहीं है क्योंकि उसका आशय (ख) को मार डालेने का, या कोई ऐसा कार्य करके, जिससे मृत्यु कारित करना वह सम्भाव्य जानता हो, मृत्यु कारित करने का नहीं था ।
स्पष्टीकरण १ :
जो किसी दुसरे व्यक्ती को, जो किसी विकार, रोग या अंगशैथिल्य से ग्रस्त है, शारीरिक क्षति (हानि) कारित करता है और तद्द्वारा उस दुसरे व्यक्ती की मृत्यु त्वरित कर देता है, वह व्यक्ती उसकी मृत्यु कारित करता है, यह समझा जाएगा ।
स्पष्टीकरण २ :
जहां कि शारिरीक क्षति से मृत्यु कारित की गई हो, वहां जिस व्यक्ती ने, ऐसी शारिरीक क्षति कारित की हो, उसने वह मृत्यु कारित की है, यह समझा जाएगा, यद्यपि उचित उपचार और कौशलपूर्ण चिकित्सा करने से वह मृत्यु रोकी जा सकती थी ।
स्पष्टीकरण ३ :
मां के गर्भ में स्थित किसी शिशू की मृत्यु कारित करना मानव वध नहीं है १ किन्तु किसी जीवित शिशु की मृत्यु कारित करना आपराधिक मानव वध की कोटि में आ सकेगा, यदि उस शिशु का कोई भाग बाहर निकल आया हो, यद्यपि उस शिशु ने श्वास न ली हो या वह पूर्णत: उत्पन्न न हुआ हो ।

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