Ipc धारा २९८ : धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के विमर्शित (जानबूझकर) आशय से शब्द उच्चारित करना आदी :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २९८ :
धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के विमर्शित (जानबूझकर) आशय से शब्द उच्चारित करना आदी :
(See section 302 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आशय से उसकी श्रवणगोचरता में कोई शब्द उच्चारित करना या कोई ध्वनि करना अथवा उसकी दृष्टिगोचरता में कोई अंगविक्षेप करना या कोई वस्तु रखना ।
दण्ड :एक वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचना आशयित है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के विमर्शित (जानबूझकर) आशय से श्रवणगोचरता में कोई शब्द उच्चारित करेगा या कोई ध्वनि करेगा या उसकी दृष्टिगोचरता में कोई अंगविक्षेप करेगा, या कोई वस्तु रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

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