भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २९४ क :
१.(लाटरी कार्यालय रखना :
(See section 297 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लाटरी कार्यालय रखना ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : लाटरी संबंधी प्रस्थापनाओं का प्रकाशन ।
दण्ड :एक हजार रुपऐ का जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई ऐसी लाटरी, २.(जो न तो ३.(राज्य लाटरी) हो और न तत्संबंधित ४.(राज्य) सरकार द्वारा प्राधिकृत लाटरी हो,) निकालने के प्रयोजन के लिए कोई कार्यालय या स्थान रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ;
और जो कोई ऐसी लाटरी में किसी टिकट, लाट, संख्यांक या आकृति को निकालने से संबंधित या लागू होने वाली किसी घटना या परिस्थिति पर किसी व्यक्ती के फायदे के लिए किसी राशि को देने की,या किसी माल के परिदान की, या किसी बात को करने की, या किसी बात से प्रविरत रहने की को प्रस्थापना प्रकाशित करेगा, वह एक हजार रुपऐ तक के जुर्माने से दण्डित किया जाएगा ।)
राज्य संशोधन :
उत्तरप्रदेश :
धारा २९४ क विलोपित ।
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१. १८७० के अधिनियम सं० २७ की धारा १० द्वारा अन्त:स्थापित ।
२. भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा सरकार द्वारा अप्राधिकृत के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. १९५१ के अधिनियम सं० ३ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा केन्द्रीय सरकार या भाग क राज्य या भाग ख राज्य की सरकार द्वारा चालू की गई लाटरी के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा प्रादेशिक के स्थान पर प्रतिस्थापित ।