भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २८४ :
विषैले (जहरिले) पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण (लापरवाही) आचरण :
(See section 286 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी विषैले पदार्थ से ऐसे बरतना जिससे मानव जीवन संकटापन्न हो जाए, आदि ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी विषैले (जहरिले) पदार्थ से कोई कार्य ऐसे उतावलेपन या उपेक्षा (लापरवाही) से करेगा, जिससे मानव जीवन संकटमय हो जाए, या जिससे किसी व्यक्ती को, उपहति या क्षति कारित होना संभाव्य हो;
या अपने कब्जे में के किसी विषैले (जहरिले) पदार्थ की ऐसी व्यवस्था करने का, जो ऐसे विषैले पदार्थ से मानव जीवन को किसी अधिसंभाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो, जानते हुए, या उपेक्षापूर्वक लोप करेगा;
वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या एक हजार रुपये तक के जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।