Ipc धारा २७१ : करंतीन ( निरोधा / स्पर्शवर्जन / छूना नहीं) के नियम की अवज्ञा :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २७१ :
करंतीन ( निरोधा / स्पर्शवर्जन / छूना नहीं) के नियम की अवज्ञा :
(See section 273 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी करन्तीन के नियम की जानते हुए अवज्ञा ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी जलयान को करंतीन (निरोधा) की स्थिति में रखे जाने के, या करंतीन (निरोधा) की स्थिति वाले जलयानों का किनारे से या अन्य जलयानों के समागम विनियमित करने के लिए १.(२.(***) ३.(***) सरकार द्वारा) सरकार द्वारा बनाए गए और प्रख्यापित किसी नियम को जानते हुए, अवज्ञा करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
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१. भारत शासन (भारतीय विधि अनुकूलन) आदेश १९३७ द्वारा भारत सरकार द्वारा या किसी सरकार द्वारा के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा केन्द्रीय या किसी प्रादेशिक शब्दों का लोप किया गया ।
३. भारतीय स्वतंत्रता (केन्द्रीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८ द्वारा या क्राउन प्रतिनिधि शब्दों का लोप किया गया ।

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