Ipc धारा २७० : परिद्वेषपूर्ण (द्वेषपूर्वक) कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २७० :
परिद्वेषपूर्ण (द्वेषपूर्वक) कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रम फैलना संभाव्य हो :
(See section 272 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : परिद्वेष से ऐसा कोई कार्य करना जिसके बारे में ज्ञात है कि उससे जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रम फैलना संभाव्य है ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई परिद्वेष (द्वेषपूर्वक) से ऐसा कोई कार्य करेगा जिससे की, और जिससे वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो, कि जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रम फैलना संभाव्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों में से, दण्डित किया जाएगा ।

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