भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २५५ :
सरकारी स्टाम्प (मुद्रांकित पत्र) का कूटकरण :
(See section 178 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सरकारी स्टाम्प का कूटकरण ।
दण्ड :आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई सरकार द्वार राजस्व के प्रयोजन के लिए प्रचालित किसी स्टाम्प (मुद्रांकित पत्र) का कूटकरण करेगा या जानते हुए उसके कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह १.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण :
वह व्यक्ती इस अपराध को करता है, जो एक अभिधान (नाम / संज्ञा) के किसी असली स्टाम्प को भिन्न अभिधान (नाम/ संज्ञा) के असली स्टाम्प (मुद्रांकित पत्र) के समान दिखाई देने वाला बनकर कूटकरण करता है ।
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१. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।