Ipc धारा २४३ : भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ती का कब्जा जो उसको कूटकृत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २४३ :
भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ती का कब्जा जो उसको कूटकृत होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था :
(See section 180 (Explanation) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : भारतीय सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उसका कूटकृत होना उस समय जानता था, जब वह उसके कब्जे में आया था ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई ऐसे कूटकृत सिक्के को, जो १.(भारतीय सिक्के) की कूटकृति है और जिसे वह उस समय, जानता था कि वह १.(भारतीय सिक्के) की कूटकृति है, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन के किसी भी सिक्के के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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