Ipc धारा २४२ : किसी कूटकृत सिक्के पर ऐसे व्यक्ती का कब्जा जो उस समय उसका कूटकृत होना जानता था, जब वह उसके कब्जे कें आया था :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २४२ :
किसी कूटकृत सिक्के पर ऐसे व्यक्ती का कब्जा जो उस समय उसका कूटकृत होना जानता था, जब वह उसके कब्जे कें आया था :
(See section 180 (Explanation) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कूटकृत सिक्के पर ऐसे व्यक्ति का कब्जा जो उस समय उसका कूटकृत होना जानता था जब वह उसके कब्जे में आया था ।
दण्ड :तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
——–
जो कोई ऐसे कूटकृत सिक्के को,जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, जिसे वह उस समय, जानता था कि वह कूटकृत है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

Leave a Reply