भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २४० :
उस भारतीय सिक्के का परिदान जिसका कूटकृत होना कब्जे में आने के समय ज्ञात था :
(See section 179 and 180 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : भारतीय सिक्के के बारे में वही अपराध ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
——-
जो कोई अपने पास कोई ऐसा कूटकृत सिक्का होते हुए, जो १.(भारतीय सिक्के) की कूटकृति हो और जिसे वह उस समय, जब वह उसके कब्जे में आया था, जानता था की वह १.(भारतीय सिक्के) की कूटकृति है, कपटपूर्वक या इस आशय से कि कपट किया जाए, उसे किसी व्यक्ती को परिदत्त करेगा या किसी व्यक्ती को उसे लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
——-
१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन के सिक्के के स्थान पर प्रतिस्थापित ।