भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २३८ :
भारतीय सिक्के की कूटकृतियों का आयात या निर्यात :
(See section 179 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : भारतीय सिक्के की कूटकृतियों का यह जानते हुए कि वे कूटकृत हैं, आयात या निर्यात ।
दण्ड : आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी कूटकृत (जाली) सिक्के को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह २.(भारतीय सिक्के) की कूटकृति है, १.(भारत) में आयात करेगा या १.(भारत) से निर्यात करेगा, वह ३.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
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१. ब्रिटिश भारत शब्द अनुक्रमश: भारतीय स्वतंत्रता (केन्द्रीय अधिनियम तथा अध्यादेश अनुकूलन) आदेश १९४८, विधि अनुकूलन आदेश १९५० और १९५१ के अधिनियम सं० ३ को धारा ३ और अनुसूची द्वारा प्रतिस्थापित किए गए है ।
२. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन के सिक्के के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।