भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २३१ :
सिक्के का कूटकरण :
(See section 178 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सिक्के का कूटकरण या उसके कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करना ।
दण्ड :सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई सिक्के का कूटकरण करेगा या जानते हुए सिक्के के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण :
जो व्यक्ती असली सिक्के को किसी भिन्न सिक्के के जौसा दिखलाई देने वाला इस आशय से बनाता है कि प्रवंचना (छल / कपट) की जाए या यह संभाव्य जानते हुए बनाता है कि एतद्द्वारा प्रवंचना (छल / कपट) की जाएगी, वह यह अपराध करता है ।
