भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २२८ :
न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए, लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्न (बाधा) :
(See section 267 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्न ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : दंड प्रक्रिया संहिता अध्याय २६ के उपबन्धो के अधीन रहते हुए वह न्यायालय जिसमें अपराध किया गया है ।
——–
जो कोई किसी लोक सेवक का उस समय, जबकि ऐसा लोकसेवक न्यायिक कार्यवाही के किसी प्रक्रम(अवस्था) में बैठा हुआ हो, साशय कोई अपमान करेगा या उसके कार्य में को विघ्न (बाधा) डालेगा, वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
राज्य संशोधन :
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ : धारा २२८ के तहत अपराध संज्ञेय है ।