भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २०८ :
ऐसी राशि के लिए जो शोध्य न हो कपटपूर्वक डिक्री (न्यायपत्र) होने देना सहन करना :
(See section 245 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : ऐसी राशि के लिए, जो शोध्य न हो, कपटपूर्वक डिक्री होने देना सहन करना या डिक्री का तुष्ट कर दिए जाने के पश्चात निष्पादित किया जाना सहन करना ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी सम्पत्ति को, या उसमें के किसी हित को, यह जानते हुए कि ऐसी सम्पत्ति या हित पर उसका कोई अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है, कपटपूर्वक प्रतिगृहित करेगा,प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा अथवा किसी सम्पत्ती या उसमें किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में आशय से प्रवंचना करेगा कि तद्द्वारा (यथा रिती) वह उस सम्पत्ति या उसमें के हित का ऐसे दण्डादेश के अधीन, जो न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुनाया जाना संभाव्य है, समपहरण के रुप में या जुर्माने के चुकाने के लिए लिया जाना, या ऐसी डिक्री या आदेश के निष्पादन (अमल) में, जो सिविल वाद में न्यायालय द्वार दिया गया हो, या जिसके बारें में वह जानता है कि सिविल वाद में न्यायालय द्वारा उसका दिया जाना संभाव्य है, लिया जाना निवारित(रोकेगा) करे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत :
(य) के विरुद्ध एक वाद (क) संस्थित करता है । (य) यह संभाव्य जानते हुए कि (क) उसके विरुद्ध डिक्री अभिप्राप्त कर लेगा, (ख) के वाद में, जिसका उसके विरुद्ध कोई न्यायसंगत दावा नहीं है, अधिक रकम के लिए अपने विरुद्ध निर्णय किया जाना इसलिए कपटपूर्वक सहन करता है कि (ख) स्वयं अपने लिए या (य) के फायदे के लिए (य) की संपत्ति के किसी ऐसे विक्रय के आगमों का अंश ग्रहण करे, जो (क) की डिक्री के अधीन किया जाए । (य) ने इस धारा के अधीन अपराध किया है ।