भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २०० :
ऐसी घोषणा को मिथ्या होना जानते हुए उसे सच्ची के रुप में काम में लाना :
(See section 237 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : ऐसी घोषणा का मिथ्या होना जानते हुए सच्ची के रुप में काम में लाना ।
दण्ड :वही जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढने के लिए है ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :वह न्यायालय जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष देने का अपराध विचारणीय है ।
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जो कोई किसी ऐसी घोषणा को, यह जानते हुए की वह किसी तात्विक बात के संबंध में मिथ्या है, उसे भ्रष्टतापूर्वक सच्ची के रुप में उपयोग में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, वह उसी प्रकार दण्डनीय होगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष दिया है ।
स्पष्टीकरण :
कोई घोषणा, जो केवल किसी अप्ररुपिता(अनौपचारीकता) के आधार पर अग्राह्य है, धारा १९९ और २०० के अर्थ के अन्तर्गत घोषणा है ।