Ipc धारा १९० : लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से विरत के लिए किसी व्यक्ती को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति ( नुकसान / हानी ) करने की धमकी :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १९० :
लोक सेवक से संरक्षा के लिए आवेदन करने से विरत के लिए किसी व्यक्ती को उत्प्रेरित करने के लिए क्षति ( नुकसान / हानी ) करने की धमकी :
(See section 225 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : क्षति से संरक्षण के लिए वैध आवेदन देने से विरत रहने के लिए किसी व्यक्ति को उत्प्रेरित करने के लिए उसे धमकी देना ।
दण्ड :एक वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ( राज्य संशोधन : संज्ञेय ) ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती को इस प्रयोजन से क्षति (नुकसान /हानी) की धमकी देगा की वह उस व्यक्ती को उत्प्रेरित करेन कि वह किसी क्षति से संरक्षा के लिए कोई वैध आवेदन किसी ऐसे लोक सेवक से करने से विरत रहे, या प्रतिविरत रहे जो ऐसे लोक सेवक के नाते ऐसी संरक्षा करने या कराने के लिए वैध रुप से सशक्त (समर्थ) हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
राज्य संशोधन
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ :
धारा १९० के तहत अपराध संज्ञेय है ।

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