Ipc धारा १८८ : लोक सेवक द्वारा सम्यक् (यथा रिती) रुप से प्रख्यापित (प्रचारित / घोषित ) आदेश की अवज्ञा :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १८८ :
लोक सेवक द्वारा सम्यक् (यथा रिती) रुप से प्रख्यापित (प्रचारित / घोषित ) आदेश की अवज्ञा :
(See section 223 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक द्वारा विधिपूर्वक प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा, यदि ऐसी अवज्ञा विधिपूर्वक नियोजित व्यक्तियों को बाधा, क्षोभ या क्षति कारित करे ।
दण्ड :एक मास के लिए सादा कारावास, या दौ सौ रुपये का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ( राज्य संशोधन : अजमानतीय ) ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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दण्ड :छह मास के लिए सादा कारावास, या पाँच सौ रुपये का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ( राज्य संशोधन : अजमानतीय ) ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई यह जानते हुए कि वह ऐसे लोक सेवक द्वारा प्राख्यापित (प्राचरित / घोषित) किसी आदेश से, जो ऐसे आदेश को प्रख्यापित करने के लिए विधिपूर्वक सशक्त हो, कोई कार्य करने से विरत रहने के लिए अपने कब्जे में की, या अपने प्रबन्धाधीन, किसी संपत्ती के बारे में कोई विशेष व्यवस्था करने के लिए निर्दिष्ट किया गया है, ऐसे निदेश की अवज्ञा करेगा;
यदि ऐसी अवज्ञा विधिपूर्वक नियोजित किन्हीं व्यक्तीयों को बाधा, क्षोभ या क्षति (नुकसान / हानी), अथवा इत्यादी की जोखिम कारित करे, या कारित करने की प्रवृत्ति रखती हो, तो वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से,जो दौ सो रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
और यदि ऐसी अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य, या क्षेम को संकट कारित करे या बल्वा या दंगा कारित करती हो, या कारित करने की प्रवृत्ति रखती हो , तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
अपराधी का आशय अपहानी उत्पन्न करने का हो या उसके ध्यान में यह हो की उसकी अवज्ञा करने से अपहानी होना संभाव्य है, यह आवश्यक नहीं है । जिस आदेश की वह अवज्ञा करता है उस आदेश का उसे ज्ञान है, और उसे यह भी ज्ञान है कि उसके अवज्ञा करने से अपहानी उत्पन्न होती या होनी संभाव्य है, यह पर्याप्त है ।
दृष्टांत :
एक आदेश, जिसमें यह निदेश है कि अमुक धार्मिक जुलूस अमुक सडक से होकर न निकले, ऐसे लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित किया जाता है, जो ऐसा आदेश प्रख्यापित करने के लिए विधिपूर्वक सशक्त है । (क) जानते हुए उस आदेश की अवज्ञा करता है, और तद्द्वारा बल्वे का संकट कारित करता है । (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।
राज्य संशोधन
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ :
धारा १८८ के तहत अपराध अजमानतीय है ।

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