भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १६८ :
कोई लोकसेवक, जो विधिविरुद्ध रुप से व्यापार में लगता है :
(See section 202 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध रुप से व्यापार में लगता है ।
दण्ड :एक वर्ष के लिए सादा कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
जो कोई लोकसेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते इस बात के लिए वैध रुप से आबद्ध होते हुए की वह व्यापार में न लगे, व्यापार में लगेगा, वह सादा कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।