Ipc धारा १३८ : सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता (अवज्ञा / नाफरमानी) के कार्य का दुष्प्रेरण :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १३८ :
सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता (अवज्ञा / नाफरमानी) के कार्य का दुष्प्रेरण :
(See section 166 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण, यदि उसके परिणामस्वरुप वह अपराध किया जाता है ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट
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जो कोई ऐसी बात का दुष्प्रेरण करेगा जिसे कि वह १.(भारत सरकार) की सेना, २.(नौसेना या वायुसेना) के किसी ऑफिसर, सैनिक, ३.(नौसैनिक या वायुसैनिक) द्वारा अनधीनता का कार्य जानता हो, यदि अनधीनता का ऐसा कार्य उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरुप किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९२७ के अधिनियम सं० १० की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा या नौसेना के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. १९२७ के अधिनियम सं० १० की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा या नौसैनिक के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

धारा १३८ क :
पुर्वोक्त धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होना :
१८८७ के अधिनियम सं.१४ की धारा ७९ द्वारा अन्त: स्थापित तथा संशोधन अधिनियम, १९३४ (१९३४ का ३५) की धारा २ तथा अनुसूची द्वारा निरसित ।

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