भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ८४ :
विकृत्तचित्त (अस्वस्थ मस्तिष्क / मनोविकल) व्यक्ति का कार्य :
(See section 22 of BNS 2023)
जब कोई बात जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जो उसे करते समय चित्त – विकृति के (अस्वस्थ मस्तिष्क) के कारण उस कार्य की प्रकृति, या यह कि जो कुछ वह कर रहा है वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकृल है, यह जानने में असमर्थ है; तब वह अपराध नही हैं ।