भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २०७ :
सम्पत्ति पर उसके समपहरण किए जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किए जाने से निवारित (रोकने) करने के कपटपूर्वक दावा :
(See section 244 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सम्पत्ति को समपहरण के रुप में या दंडादेश के अधीन जुर्माना चुकाने में या डिक्री के निष्पादन में लिए जाने से निवारित करने के लिए उस पर अधिकार के बिना दावा करना या उस पर किसी अधिकार के बारे में प्रवंचना करना ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी सम्पत्ति को, या उसमें के किसी हित को, यह जानते हुए कि ऐसी सम्पत्ति या हित पर उसका कोई अधिकार या अधिकारपूर्ण दावा नहीं है, कपटपूर्वक प्रतिगृहित करेगा,प्राप्त करेगा, या उस पर दावा करेगा अथवा किसी सम्पत्ती या उसमें किसी हित पर किसी अधिकार के बारे में आशय से प्रवंचना करेगा कि तद्द्वारा (यथा रिती) वह उस सम्पत्ति या उसमें के हित का ऐसे दण्डादेश के अधीन, जो न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुनाया जाना संभाव्य है, समपहरण के रुप में या जुर्माने के चुकाने के लिए लिया जाना, या ऐसी डिक्री या आदेश के निष्पादन (अमल) में, जो सिविल वाद में न्यायालय द्वार दिया गया हो, या जिसके बारें में वह जानता है कि सिविल वाद में न्यायालय द्वारा उसका दिया जाना संभाव्य है, लिया जाना निवारित(रोकेगा) करे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।