भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १७३ :
समन की तामील या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना (रोकना / बाधा डालना) :
(See section 207 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी समन या सूचना की तामील या लगाया जाना निवारित करना या उसके लगाए जाने के पश्चात् उसे हटाना या उद्घोषणा को निवारित करना ।
दण्ड :एक मास के लिए सादा कारावास, या पाँच सो रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
———-
अपराध : यदि समन आदि न्यायालय में वैयक्तिक हाजिरी आदि अपेक्षित करते है ।
दण्ड :छह मास के लिए सादा कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
———–
जो कोई किसी लोक सेवक द्वारा जो लोक सेवक के नाते कोई समन, सूचना या आदेश निकालने के लिए वैध रुप से सक्षम हो, निकाले गए समन, सूचना या आदेश की तामील अपने पर या किसी अन्य व्यक्ति पर होना किसी प्रकार साशय निवारित करेगा,
अथवा किसी ऐसे समन,सूचना या आदेश का किसी स्थान में विधिपूर्वक लगाया जाना साशय निवारित करेगा,
अथवा किसी ऐसे समन, सूचना या आदेश को किसी ऐसे स्थान से, जहां कि वह विधिपूर्वक लगाया हुआ है, साशय हटाएगा,
अथवा किसी ऐसे लोक सेवक के प्राधिकाराधीन की जानेवाली किसी उद्घोषणा का विधिपूर्वक किया जाना साशय निवारित करेगा, जो ऐसे लोक सेवक के नाते ऐसी उद्घोषणा का किया जाना निदिॅष्ट करने के लिए वैध रुप से सक्षम हो, वह सादा कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पाँच सो रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ;
अथवा यदि समन, सूचना या आदेश या उद्घोषणा १.(किसी न्यायालय में स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए या दस्तावेज अथवा इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए) हो, तो वह सादा कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से , दण्डनीय होगा ।
——–
१. २००० के अधिनियम सं० २१ की धारा ९१ और पहली अनुसूची द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित (१७-१०-२००० से) ।