Ipc धारा १२० : कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा १२० :
कारावास से दण्डनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना :
(See section 60 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कारावास से दंडनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना, यदि अपराध कर दिया जाता है ।
दण्ड : दीर्घतम अवधि के एक चौथाई भाग तक का कारावास, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या जर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय है ।
जमानतीय या अजमानतीय :इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध जमानतीय है या अजमानतीय है ।
शमनीय / अशमनीय : अशमनीय.
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :उस न्यायालय द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है ।
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अपराध : यदि अपराध नहीं किया जाता है ।
दण्ड : दीर्घतम अवधि के आठवें भाग तक का कारावास, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या जर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :इसके अनुसार कि दुष्प्रेरित अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय है ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय
शमनीय / अशमनीय : अशमनीय.
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :उस न्यायालय द्वारा दुष्प्रेरित अपराध विचारणीय है ।
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जो कोई उस अपराध का किया जाना, जो करावास से दण्डनीय है, सुकर बनाने के आशय से या संभाव्यत: तद्द्वारा सुकर बनाएगा, यह जानते हुए,
ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना के अस्तित्व को किसी कार्य या अवैध (विधिविरुध्द) लोप द्वारा स्वेच्छया छिपाएगा या ऐसी परिकल्पना के बारे में ऐसा व्यपदेशन (वर्णन / निरुपण) करेगा, जिसका मिथ्या होना वह जानता है,
यदि अपराध कर दिया जाए – यदि अपराध नहीं किया जाए :
यदि ऐसा अपराध कर दिया जाए, तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित भांति के कारावास से, जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई तक की हो सकेगी और यदि वह अपराध नहीं किया जाए, तो वह ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि के आठवें भाग तक की हो सकेगी, या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबंधित है, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

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