हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम १९५६
धारा ४ :
अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव :
(१) इस अधिनियम में अभिव्यक्तत: उपबन्धित के सिवाय –
(a)(क) हिन्दू विधि का कोई ऐसा शास्त्र वाक्य, नियम या निर्वचन या उस विधि की भागरूप कोई भी रुढि या प्रथा, जो इस अधिनियम के प्रारम्भ के अव्यवहित पूर्व प्रवृत्त रही हो, ऐसे किसी भी विषय के बारे में, जिसके लिए इस अधिनियम में उपबन्ध किया गया है, प्रभावहीन हो जाएगी;
(b)(ख) इस अधिनियम के प्रारम्भ के अव्यवहित पूर्व प्रवृत्त किसी भी अन्य विधि का हिन्दुओं को लागू होना वहां तक बन्द हो जाएगा जहां तक कि वह इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट उपबन्धों में से किसी से भी असंगत हो ।
१.(***)
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१. २००५ के अधिनियम सं० ३९ की धारा २ द्वारा (९-९-२००५ से) उपधारा (२) का लोप किया गया ।