Fssai धारा ८० : प्रतिरक्षा, जो इस अधिनियम के अधीन अभियोजन में अनुज्ञात की जा सकेगी या नहीं की जा सकेगी :

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम २००६
धारा ८० :
प्रतिरक्षा, जो इस अधिनियम के अधीन अभियोजन में अनुज्ञात की जा सकेगी या नहीं की जा सकेगी :
(A) अ) विज्ञापनों के प्रकाशन से संबंधित प्रतिरक्षा-
१) इस अधिनियम के अधीन किसी विज्ञापन के प्रकाशन से संबंधित किसी अपराध के लिए किसी कार्यवाही में, किसी व्यक्ति के लिए यह साबित करना प्रतिरक्षा है कि वह व्यक्ति विज्ञापनों के प्रकाशन या प्रकाशन की व्यवस्था करने का कारबार करता है और यह कि उस व्यक्ति ने उस कारबार के सामान्य अनुक्रम में प्रश्नगत विज्ञापन का प्रकाशन किया है या प्रकाशन की व्यवस्था की है।
२) खंड (१) तब लागू नहीं होता है, जब-
(a) क) उस व्यक्ति को युक्तियुक्त रूप से यह पता होना चाहिए था कि विज्ञापन का प्रकाशन एक अपराध था; या
(b) ख) उस व्यक्ति को सुसंगत प्राधिकारी द्वारा पूर्व में यह सूचना दे दी गई थी कि ऐसे किसी विज्ञापन का प्रकाशन एक अपराध है; या
(c) ग) वह व्यक्ति खाद्य कारबारकर्ता है या खाद्य कारबार के संचालन से अन्यथा संबंधित है, जिनके लिए संबंधित विज्ञापन का प्रकाशन किया गया था।
(B) आ) सम्यक् तत्परता की प्रतिरक्षा –
१) किसी अपराध के लिए किन्हीं कार्यवाहियों में यह एक प्रतिरक्षा है, यदि वह साबित हो जाता है कि उस व्यक्ति ने, ऐसे व्यक्ति द्वारा या उस व्यक्ति के नियंत्रणाधीन किसी व्यक्ति द्वारा अपराध कारित किए जाने से निवारित करने के लिए सभी युक्तियुक्त पूर्वावधानियां बरती थीं और सभी सम्यक् तत्परता का प्रयोग किया था।
२) किसी व्यक्ति द्वारा खंड (१) की अपेक्षाओं की पूर्ति किए जाने के तरीकों को सीमित किए बिना, कोई व्यक्ति उन अपेक्षाओं को पूरा कर देता है यदि यह साबित कर दिया जाता है कि :-
(a) क) अपराध –
एक) किसी अन्य व्यक्ति के किसी कार्य या व्यतिक्रम के कारण हुआ था;
दो) किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई सूचना पर विश्वास करने के कारण हुआ था; और
(b) ख) यह कि –
एक) उस व्यक्ति ने संबंधित खाद्य की ऐसी सभी जांच की थी, जो सभी परिस्थितयों में युक्तियुक्त थी; या
दो) उस व्यक्ति द्वारा जिसने ऐसे खाद्य का प्रदाय उस व्यक्ति को किया था, की गई जांच पर विश्वास करना सभी परिस्थितियों में युक्तियुक्त था; और
(c) ग) यह कि उस व्यक्ति ने किसी अन्य देश से उसकी अधिकारिता के भीतर खाद्य का आयात नहीं किया था; और
(d) घ) ऐसे किसी अपराध की दशा में, जिसमें खाद्य का विक्रय अंतर्वलित है, –
एक) उस व्यक्ति ने खाद्य का उसी स्थिति में विक्रय किया था, जिसमें उस व्यक्ति ने उसका क्रय किया था; या
दो) उस व्यक्ति ने खाद्य का उस स्थिति से, जिसमें उस व्यक्ति ने उसका क्रय किया था, भिन्न स्थिति में विक्रय किया था, किंतु ऐसे अंतर के परिणामस्वरूप इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है; और
(e) ङ) यह कि उस व्यक्ति को कथित अपराध के कारित किए जाने के समय यह जानकारी नहीं थी या उसके पास यह संदेह करने का कोई कारण नहीं था कि उस व्यक्ति का वह कार्य या लोप सुसंगत धारा के अधीन एक अपराध होगा।
३) खंड (२) के उपखंड (a)(क) में, अन्य व्यक्ति के अंतर्गत ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो –
(a) क) प्रतिवादी का कोई कर्मचारी या अभिकर्ता था; या
(b) ख) ऐसे प्रतिवादी की दशा में, जो एक कंपनी है, उस कंपनी का कोई निदेशक, कर्मचारी या अभिकर्ता था।
४) किसी व्यक्ति द्वारा खंड (१) और खंड (२) के उपखंड (b) (ख) की मद (एक) की अपेक्षाओं को पूरा किए जाने के तरीकों को सीमित किए बिना, कोई व्यक्ति यह साबित करके उन अपेक्षाओं को पूरा कर सकेगा कि –
(a) क) किसी ऐसे खाद्य कारबार से संबंधित किसी अपराध की दशा में, जिसके लिए विनियमों के अनुसार खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम तैयार किया जाना अपेक्षित है, व्यक्ति ने, खाद्य कारबार के लिए ऐसे खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का अनुपालन किया है जो विनियमों की अपेक्षाओं को पूरा करता है; या
(b) ख) किसी अन्य दशा में, व्यक्ति ने ऐसी स्कीम (उदाहरणार्थ, व्कालिटी आश्वासन कार्यक्रम या उद्योग की आचार संहिता) का अनुपालन किया है –
एक) जिसे खाद्य सुरक्षा के परिसंकटों से निपटने के लिए तैयार किया गया था और जो, उसके प्रयोजन के लिए तैयार राष्ट्रीय या अन्तरराष्ट्रीय मानकों, संहिताओं या मार्गदर्शक सिद्धांतों पर, आधारित थी, और
दो) जिसका किसी रीति में प्रलेखीकरण किया गया था ।
(C) इ) भूल से किए गए और युक्तियुक्त विश्वास की प्रतिरक्षा का उपलब्ध न होना –
इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन किसी अपराध के लिए किन्हीं कार्यवाहियों में यह कोई प्रतिरक्षा नहीं है कि प्रतिवादी ने कोई भूल की थी किन्तु उसके पास उन तथ्यों के बारे में जो अपराध का गठन करते हैं, युक्तियुक्त विश्वास करने का कारण था।
(D) ई) खाद्य की उठाई धराई से संबंधित प्रतिरक्षा-
धारा ५६ के अधीन किसी अपराध के लिए किन्हीं कार्यवाहियों में, यदि यह साबित हो जाता है कि खाद्य की ऐसी रीति में उठाई-धराई के, जिससे खाद्य के असुरक्षित होने की संभावना थी, तुरन्त पश्चात् उस खाद्य को, जिससे अपराध संबंधित है, नष्ट कराया था या अन्यथा व्ययन करा दिया था, तो यह एक प्रतिरक्षा है।
(E) उ) खाद्य की प्रकृति, अंतर्वस्तु या क्वालिटी के महत्व की प्रतिरक्षाएं –
खाद्य की किसी असुरक्षित या मिथ्या छाप वाली वस्तु के विक्रय के अपराध के लिए किसी अभियोजन में केवल यह अभिकथन करना कोई प्रतिरक्षा नहीं होगी कि खाद्य कारबारकर्ता, उसके द्वारा विक्रय किए गए खाद्य की प्रकृति, अन्तर्वस्तु या क्वालिटी के संबंध में अनभिज्ञ था या यह कि क्रेता द्वारा कोई वस्तु विश्लेषण के लिए क्रय किए जाने के कारण, उस पर विक्रय द्वारा कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है।

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