दहेज प्रतिषेध अधिनियम १९६१
धारा ४ :
१.(दहेज मांगने के लिए शास्ति :
यदि कोई व्यक्ति, यथास्थिति, वधू या वर के माता-पिता या अन्य नातेदार या संरक्षक, से किसी दहेज की प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से मांग करेगा तो वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किन्तु दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा:
परन्तु न्यायालय ऐसे पर्याप्त और विशेष कारणों से, जो निर्णय में उल्लिखित किए जाएंगे, छह मास से कम की किसी अवधि के कारावास का दण्डादेश अधिरोपित कर सकेगा।)
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१.१९८४ के अधिनियम सं०६३ की धारा ४ द्वारा (२-१०-१९८५ से) धारा ४ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।