Dpa 1961 धारा २ : दहेज की परिभाषा :

दहेज प्रतिषेध अधिनियम १९६१
धारा २ :
दहेज की परिभाषा :
इस अधिनियम में, दहेज से कोई ऐसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति अभिप्रेत है जो विवाह के समय या उसके पूर्व १.(या पश्चात किसी समय) –
(a)(क) विवाह के एक पक्षकार द्वारा विवाह के दूसरे पक्षकार को; या
(b)(ख) विवाह के किसी भी पक्षकार के माता-पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा विवाह के किसी भी पक्षकार को या किसी अन्य व्यक्ति को, २.(उक्त पक्षकारों के विवाह के संबंध में) या तो प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत: दी गई है या दी जाने के लिए करार की गई है, किन्तु उन व्यक्तियों के संबंध में जिन्हें मुस्लिम स्वीय विधि (शरीयत) लागू होती है, मेहर इसके अंतर्गत नहीं है।
(c)३.(***)
स्पष्टीकरण २ :
मूल्यवान प्रतिभूति पद का वही अर्थ है जो भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) की धारा ३० में है।
——–
१. १९८६ के अधिनियम सा ४३ की धारा २ द्वारा (१९-११-१९८६ से) या पश्चात शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९८४ के अधिनियम सं० ६३ की धारा २ द्वारा (२-१०-१९८५ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।
३. १९८४ के अधिनियम मा ६३ की धारा २ द्वारा (२-१०-१९८५ से) लोप किया गया।

Leave a Reply