बालक श्रम अधिनियम १९८६
भाग ४ :
प्रकीर्ण :
धारा १४ :
शास्तियां :
१.(१) जो कोई किसी बालक को धारा ३ के उपबंधों के उल्लंघन में नियोजित करता है या काम करने के लिए अनुज्ञात करता है, वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो बीस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा :
परन्तु ऐसे बालक के माता-पिता या संरक्षक को तब तक दंडित नहीं किया जाएगा जब तक कि वे ऐसे बालक को, धारा ३ के उपबंधों में वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए अनुज्ञात न करें ।
(1A)१क) जो कोई किसी कुमार को धारा ३क के उपबंधों के उल्लंघन में नियोजित करता है या काम करने के लिए अनुज्ञात करता है, वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो बीस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा :
परन्तु ऐसे कुमार के माता-पिता या संरक्षक को तब तक दंडित नहीं किया जाएगा जब तक कि वे ऐसे कुमार को, धारा ३क के उपबंधों के उल्लंघन में कार्य करने के लिए अनुज्ञात न करें ।
(1B)१ख) उपधारा (१) और उपधारा (१क) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी धारा ३ या धारा ३क में निर्दिष्ट किसी बालक या कुमार के माता-पिता या संरक्षक प्रथम अपराध की दशा में दंड के भागी नहीं होंगे ।
२.(२) जो कोई, धारा ३ या धारा ३क के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराए जाने पर, तत्पश्चात् वैसा ही अपराध करेगा, वह कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा ।
(2A)२क) उपधारा (२) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी ऐसे माता-पिता या संरक्षक, धारा ३ या धारा ३क के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराए जाने पर, तत्पश्चात् वैसा ही अपराध करेगा, वह जुर्माने से जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा दंडनीय होगा ।)
३) जो कोई –
३.(***)
(d)घ) इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं अन्य उपबंधों का अनुपालन करने में असफल रहेगा या उनका उल्लंघन करेगा,
वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा ।
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१. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा १८ द्वारा उपधारा (१) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा १८ द्वारा उपधारा (२) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा १८ द्वारा उपधारा (३) के खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) का लोप किया गया ।