बालक श्रम अधिनियम १९८६
धारा १४घ :
१.(अपराधों का शमन :
१) दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जिला मजिस्ट्रेट, अभियुक्त व्यक्ति के आवेदन पर उसके द्वारा धारा १४ की उपधारा (३) के अधीन पहली बार किए गए किसी अपराध का या किसी ऐसे अभियुक्त व्यक्ति द्वारा, जो माता-पिता या संरक्षक है, किए गए किसी अपराध का, ऐसी रीति में और समुचित सरकार को ऐसी रकम का संदाय करने पर, जो विहित की जाए, शमन कर सकेगा ।
२) यदि अभियुक्त, अपराध के शमन के लिए ऐसी रकम का संदाय करने में असफल रहता है तो ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार कार्यवाहियां जारी रहेंगी ।
३) जहां कोई अभियोजन संस्थित किए जाने के पूर्व किसी अपराध का शमन कर दिया जाता है वहां ऐसे अपराध के संबंध में उस अपराधी के विरुद्ध, जिसके संबंध में अपराध का इस प्रकार शमन किया गया है, कोई अभियोजन संस्थित नहीं किया जाएगा ।
४) जहां किसी अपराध का शमन किसी अभियोजन के प्रारंभ होने के पश्चात् किया जाता है वहा ऐसे शमन को उस न्यायालय की जानकारी में लाया जाएगा जिसमें अभियोजन लंबित है और अपराध के शमन का अनुमोदन किए जाने पर, ऐसे व्यक्ति को, जिसके विरुद्ध अपराध का इस प्रकार शमन किया जाता है, उन्मोचित कर दिया जाएगा ।)
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१. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा १९ द्वारा अन्त:स्थापित ।