Constitution अनुच्छेद १५५ : राज्यपाल की नियुक्ति ।
भारत का संविधान अनुच्छेद १५५ : राज्यपाल की नियुक्ति । राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा ।
भारत का संविधान अनुच्छेद १५५ : राज्यपाल की नियुक्ति । राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा ।
भारत का संविधान अनुच्छेद १५४ : राज्य की कार्यपालिका शक्ति । १) राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा । २)इस अनुच्छेद की कोई बात - क) किसी…
भारत का संविधान अध्याय २ : कार्यपालिका : राज्यपाल : अनुच्छेद १५३ : राज्यों के राज्यपाल । प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा : १.( परन्तु इस अनुच्छेद की कोई बात एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों के लिए राज्यपाल नियुक्त किए…
भारत का संविधान भाग ६ : १.(***) राज्य : अध्याय १ : साधारण : अनुच्छेद १५२ : परिभाषा । इस भाग में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, राज्य पद २.(के अंतर्गत जम्मू- कश्मीर राज्य नहीं हैं) । -------- १.संविधान (सातवां संशोधन…
भारत का संविधान अनुच्छेद १५१ : लेखापरीक्षा अहवाल : १) भारत के नियंत्रक - महालेखापरीक्षक के संघ के लेखाओं संबंधी प्रतिवेदनों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा , जो उनको संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगा । २) भारत के नियंत्रक -महालेखापरीक्षक के…
भारत का संविधान अनुच्छेद १५० : १.(संघ के और राज्यों के लेखाओं का प्ररूप । संघ के और राज्यों के लेखाओं को ऐसे प्ररूप में रखा जाएगा जो राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक - महालेखापरीक्षक २.(की सलाह पर ) विहित करे । ) ---------- १.संविधान (बयालीसवां…
भारत का संविधान अनुच्छेद १४९ : नियंत्रक - महालेखापरीक्षक के कर्तव्य और शक्तियां । नियंत्रक -महालेखापरीक्षक संघ के और राज्यों के तथा किसी अन्य प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के संबंध में ऐसे कर्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा जिन्हें संसद् द्वारा…
भारत का संविधान अध्याय ५ : भारत का नियंत्रक - महालेखापरीक्षक : अनुच्छद १४८ : भारत का नियंत्रक महालेखापरीक्षक । १) भारत का एक नियंत्रक -महालेखापरीक्षक होगा जिसको राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा और उसे उसके पद से केवल उसी…
भारत का संविधान अनुच्छेद १४७ : निर्वचन । इस अध्याय में और भाग ६ के अध्याय ५ में इस संविधान के निर्वचन के बारे में विधि के किसी सारवान् प्रश्न के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अंतर्गत भारत शासन अधिनियम, १९३५…
भारत का संविधान अनुच्छेद १४६ : उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय । १) उच्चतम न्यायालय के अधिकारियों और सेवकों की नियुक्तियां भारत का मुख्य न्यायमुर्ति करेगा या उस न्यायालय का ऐसा अन्य न्यायाधीश या अधिकारी करेगा जिसे वह निदिष्ट करे: परन्तु राष्ट्रपति…
भारत का संविधान अनुच्छेद १४५ : न्यायालय के नियम आदि । १)संसंद् द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उच्चतम न्यायालय समय - समय पर, राष्ट्रपति के अनुमोदन से न्यायालय की पध्दति और प्रक्रिया के, साधारणतया, विनियमन के लिए नियम बना…
भारत का संविधान अनुच्छेद १४४ : सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य किया जाना । भारत के राज्यक्षेत्र के सभी सिविल और न्यायिक प्राधिकारी उच्चतम न्यायालय की सहायता में कार्य करेंगे ।
भारत का संविधान अनुच्छेद १४३ : उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति । १) यदि किसी समय राष्ट्रपति को प्रतीत होता है कि विधि या तथ्य का कोई ऐसी प्रश्न उत्पन्न हुआ है या उत्पन्न होने की संभावना है, जो ऐसी प्रकृति…
भारत का संविधान अनुच्छेद १४२ : उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश । १)उच्चतम न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री पारित कर सकेगा या ऐसा आदेश कर सकेगा जो उसके समक्ष लंबित किसी…
भारत का संविधान अनुच्छेद १४१ : उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर आबध्दकर होना । उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर सभी न्यायालयों पर आबध्दकर होगी ।
भारत का संविधान अनुच्छेद १४० : उच्चतम न्यायालय की आनुषंगिक शक्तियां । संसद्, विधि द्वारा, उच्चतम न्यायालय को ऐसी अनुपूरक शक्तियां प्रदान करने के लिए उपबंध कर सकेगी जो इस संविधान के उपबंधों में से किसी से असंगत न हों और जो उस न्यायालय को…
भारत का संविधान अनुच्छेद १३९-क : १.(कुछ मामलों का अतंरण । २.(१) यदि ऐसे मामले, जिनमें विधि के समान या सारत: समान प्रश्न अंतर्वलित हैं, उच्चतम न्यायालय के और एक या अधिक उच्च न्यायालयों के अथवा दो या अधिक उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं…
भारत का संविधान अनुच्छेद १३९ : कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना । संसद् विधि द्वारा उच्चतम न्यायालय को अनुच्छेद ३२ के खंड (२) में वर्णित प्रयोजनों से भिन्न किन्हीं प्रयोजनों के लिए ऐसे निदेश, आदेश या रिट, जिनके…
भारत का संविधान अनुच्छेद १३८ : उच्चतम न्यायालय की अधिकारिता की वृध्दि । १) उच्चतम न्यायालय को संघ सूची के विषयों में से किसी के संबंध में ऐसी अतिरिक्त अधिकारिता और शक्तियां होंगी जो संसद् विधि द्वारा प्रदान करे । २) यदि संसद् विधि द्वारा…
भारत का संविधान अनुच्छेद १३७ : निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विलोकन । संसद् द्वारा बनाई गई किसी विधि के या अनुच्छेद १४५ के अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उच्चतम न्यायालय को अपने द्वारा सुनाए गए निर्णय या…